Wednesday, June 4, 2008

जय भोलास्वामी की

कल भोला प्रसाद को उसके माँ बाप ने फिर से जी भर के कोसा! " निकम्मा कही का....काम का न काज का ढाई मन अनाज का ,दिन भर पड़े पड़े चरता रहता है..कब कोई काम करना शुरू करेगा" भोला ने अपने दोनों कानों को आपस में जोड़ते हुए किसी विधि से एक पाइप फिट किया था जिससे ये सारे प्रवचन आसानी से दुसरे कान से बाहर निकलने में सक्षम थे! भोला कल भी पाइप की मदद से प्रवचनों को गतिमान कर रहा था..मगर बात ज्यादा बिगड़ गयी! बाप को भोला की बेशर्मी पर ज्यादा गुस्सा आ गया और लात मारकर घर से बाहर निकाल दिया ,भोला ने अन्दर घुसने की कोशिश की तो दो लातें और टिकायीं ,साथ में चेतावनी भी दी की अब अगर कुछ कमाना शुरू नहीं किया तो घर में न घुसे! भोला ने माँ की ओर बेचारगी से देखा मगर माँ भी इस बार बापू की साइड थी! भोला को गुस्सा आ गया! उसने भी दरवाजे के बाहर से ही बाप को धिक्कारा कि वे एक पिता का फ़र्ज़ निभाने में नाकाम रहे हैं...और उसी पल उसका आत्म सम्मान जाग गया! भोला का आत्मसम्मान के रूप में कुम्भकर्ण ने पुनर्जन्म लिया था वो भी थोड़े और एडवांस वर्ज़न के रूप में! कुछ मिनिटों को ही जागता था !इन्ही कुछ मिनिटों में भोला ने निश्चय किया कि अब वो गाँव में नहीं रहेगा और तभी लौटेगा जब कुछ कमाने लगेगा! भोला चल दिया शहर कि ओर!

भोला शहर पहुंचा!जैसे ही भूख लगी वैसे ही आत्मसम्मान के सोने का वक्त हो गया! भोला का मन किया कि वापस गाँव लौट जाए मगर इतना चलने कि ताकत नहीं थी! कमबख्त आत्मसम्मान गलत टाइम पे जगा...घर से चलते समय कोई सामान भी न रख सका! कोई काम करने की ताकत भी न थी बदन में और न ही आदत थी! एक मंदिर के सामने बैठे बच्चे को भीख मांगते देखा तो चेहरा खिल गया! भोला भी झट से अपना रूमाल निकाल भीख मांगने बैठ गया! आत्मसम्मान खर्राटे भर रहा था! दो घंटे बैठा रहा पर हट्टे कट्टे मुस्टंडे भोला को एक चवन्नी तक नहीं मिली ऊपर से चार बातें और सुनने को मिल गयीं! भोला सोच रहा था" भले ही चार लातें और मार लेते मगर घर से तो न निकालते" ऐसे ही बैठे बैठे शाम हो गयी...तभी एक उचक्का सा दिखने वाला आदमी भोला के पास आया और बोला" भाई..मैं तुझे सुबह से यहाँ बैठे देख रहा हूँ,क्या समस्या है तुझे?"
भोला ने आपबीती कह सुनाई! उचक्का उचक कर भोला के पास आया और कंधे पर हाथ रखकर बोला" मेरे पास एक जबरदस्त आइडिया है...अगर मेरा कहा मानोगे तो पैसों की बारिश में नहाओगे"
भोला ने संशय से उचक्के को देखा और मुंह बिचका कर बोला " तुम्हे पैसों की बारिश में नहाने से फोड़े निकलते हैं क्या? खुद क्यों नहीं नहा लेते?
उचक्का निराश भाव से बोला" मैं तो खुद ही नहाता लेकिन बरसों से चोरी चकारी कर कर के अब साली शकल ही उचक्की सी हो गयी है!मेरे काम के लिए शरीफ दिखने वाला आदमी चाहिए"
भोला भी राज़ी हो गया" बताओ क्या करना है? बस कहीं फसवा मत देना !
उचक्का बस्ती के बीचों बीच एक पीपल के पेड़ के नीचे भोला को ले गया और एक बेढंगा सा पत्थर पेड़ के नीचे रख दिया! भोला को कुछ समझ नहीं आया" ये क्या कर रहे हो"?
बस तुम देखते जाओ,अच्छा ये बताओ कुछ पैसे हैं तुम्हारे पास ?
अगर पैसे होते तो कुछ खा नहीं लेता" भोला चिढ़कर बोला!
ठीक है ठीक है...मैं ही कुछ इंतजाम करता हूँ! उचक्का फर्राटे भरता गया और चंद मिनटों में ही केसरिया रंग और एक लाल कपडा खरीद कर ले आया! भोला हैरत से मुंह फाड़े उसे देख रहा था!उचक्के ने केसरिया रंग से पत्थर को पोत दिया! अब पत्थर भगवान बन गया था! और लाल कपडे को तिकोना काटकर एक डंडे से बांधकर झंडे की तरह पेड़ पर टांग दिया! बचा लाल कपडा भोला को दिया और बोला "चल...अपना कुरता उतार कर ये कपडा लपेट ले! भोला इतना भी भोला नहीं था ,अब तक उसके दिमाग की बत्ती जल चुकी थी! चुपचाप कुरता उतार कर कपडा लपेट लिया! उचक्के ने भोला के माथे पर एक केसरिया तिलक भी लगा दिया! अब भोला पक्का पंडित बन गया था!उचक्के ने भोला को आदेश दिया कि भगवान के पास बैठकर पूजा करना शुरू कर दे! भोला बोला" मुझे तो एक मन्त्र भी नहीं आता, पूजा क्या ख़ाक करूंगा!
वहाँ बैठ कर आँख बंद करके हाथ तो जोड़ सकता है?
हाँ...ये कर लूंगा!
भोला आँख बंद करके चाट पकोड़ी के सपने देखने लगा! बीच बीच में आँख खोलकर देख लेता..कही उचक्का उसका कुरता लेकर तो नहीं भाग गया! आँखें बंद किये किये ऊंघनी सी आ गयी ,तभी उसकी नींद खुली अपने पैरों पर किसी के स्पर्श से!
ये भोला स्वामी हैं...इन्हें स्वप्न में हनुमान जी ने दर्शन दिए और यहाँ अपनी प्रतिष्ठा कराने का आदेश दिया!" उसके कानो में उचक्के की खिरखिरी सी आवाज़ पड़ी! भोला स्वामी...उसकी हंसी छूटने को हुई,पर मौके की नजाकत को देखते हुए कंट्रोल कर गया! लोग उसके पैर छू रहे थे...थोडी देर में ५-६ नारियल, २-३ प्रकार की मिठाई और पचास-साठ रुपये इकट्ठे हो गए! भीड़ छांटते ही भोला ने उचक्के के चरण पकड़ लिए! "अबे..फोकट में नहीं कर रहा हूँ...आधी कमाई लूंगा और कपडे और रंग के पैसे भी काट लूंगा!
सब मंजूर है भाई!"
अगले कुछ दिनों में भोला स्वामी के चर्चे पूरी बस्ती में हो गए! भोला की अज्ञानता पर पर्दा डालने के लिए उचक्के ने भोला को मौनी बाबा के नाम से फेमस कर दिया! भोला को ड्यूटी अवर्स में चुप रहने में बड़ी तकलीफ होती मगर बोलने का खतरा वह मोल नहीं लेना चाहता था...अकेले में खूब अल्ल गल्ल बोलता! सपने में भी बड़बड़ाने लग गया था!

कुछ ही दिनों में भोला स्वामी प्रसिद्ध हो गए और उचक्का उनका असिस्टैंट और मंदिर का मैनेजर बन गया!एक व्यापारी ने मंदिर के आसपास चबूतरा बनवा दिया,दूसरे ने बोर्ड लगवा दिया "इछापूरण हनुमान" ,तीसरे ने एक टेप रिकॉर्डर और हनुमान चालीसा की कैसेट लाकर दे दीं और चौथे ने वहाँ एक दान पेटी रखवा दी!

भोला और उचक्के का व्यापार अच्छा चल निकला....एक बार एक रईस अपनी मनोकामना लेकर दर्शन को आया और भोला की किस्मत अच्छी थी की उस रईस की मनोकामना पूर्ण हो गयी...खुश होकर उसने पक्का मंदिर बनवा दिया, संगमरमर के फर्श वाला! भोला और उचक्के के लिए मंदिर के पीछे ही एक पक्का कमरा बन गया! अब हर सुबह मंदिर में हनुमान चालीसा चलता और मौनी बाबा भोलास्वामी आँख बंद करके भगवान् के सामने बैठ जाते...बीच बीच में आँख खोलकर सुन्दर कन्याओं और चढाये गए प्रसाद को भी देखते रहते!

मंदिर के आसपास फूलवाले, प्रसाद वाले और बाकी मंदिर का सामान बेचने वाले भी ठेला लगा कर बैठ गए! आधी रोड पर मंदिर का कब्जा हो गया ,बाकी की आधी रोड जनता के लिए छोड़ दी गयी! उन्ही दिनों शहर में नया नगर निगम कमिश्नर आया...आते ही अतिक्रमण हटाओ मुहिम चलाई! सबसे पहला टार्गेट हनुमान जी ही बने..जैसे ही भोलास्वामी के पास नोटिस आया ,नोटिस को मंदिर के बाहर दीवार पर चस्पा कर दिया उचक्के ने..भक्तों ने देखा तो बवाल मचाया..समस्त हिन्दू संगठन इकट्ठे हो गए...कमिश्नर के पुतले फूंके गए! मंत्री जी ने देखा तो कमिश्नर को बुलाकर डांट पिलाई और लगे हाथों ट्रांसफर भी कर दिया!

नया कमिश्नर आ गया, मंत्री जी की गुड बुक वाला ! आते ही सबसे पहले हनुमान जी के दर्शन कर भोला स्वामी का आशीर्वाद लिया और मनोकामना की कि यहाँ रहकर तिजोरी फले फूले! सब खुश...जनता, भोला,उचक्का..मंत्री जी और नया कमिश्नर! अतिक्रमण का क्या है....उसके लिए तो गरीबों की बस्तियां और झुग्गियां हैं ही!

भोला का पेट चुप रह रह के अफरा गया था और उसे इतने दिनों में हनुमान चालीसा भी रट गयी थी अब मौन तोड़ने का समय आ गया था ...उसने उचक्के को अपनी व्यथा बताई...भगवान् उचक्के जैसा दोस्त सबको दे! उचक्के ने अगले ही दिन जनता को बता दिया कि हनुमान जी ने स्वप्न में स्वामी जी को मौन समाप्त करने का आदेश दिया है ,बड़े धूमधाम से भोला का मौन समाप्ति उत्सव मनाया गया! मौन टूटते ही भोला ने सबसे पहले अपनी कौए जैसी आवाज़ में हनुमान चालीसा का पाठ किया !

और हाँ चलते चलते एक बात और....अभी पता चला है कि भोला के माता पिता ने उसे माफ़ कर दिया है और भोला के पास रहने आ रहे हैं !भोला ने उन्हें लेने के लिए अपनी कार भेज दी है..

.जय बजरंग बली की..........

11 comments:

राकेश जैन said...

achhi kahani ke lie badhai, ek hi kahani me kai kendra nazar aye,kis tarah aj janta ko dharma ke sahare thaga ja raha hai, administration ki jo desh me halat hai us ke bare me bhi bilkul sateek likha gaya. aur administration ko kis tarah political majority me dab jana padta hai ye bhi khub rahi...good one!

samagam rangmandal said...

जय बजरंग बली!

सतीश पंचम said...

अच्छी रचना.....जारी रखें।

ताऊ रामपुरिया said...

आपनै घणी जोरदार तरीकै तैं घटना का चित्रण करया सै ! घणा मजा आया! बधाई !
आपकी कहानी के चरित्र हर कहीं बिखरे पडे हैं ! आपने इनको बेनकाब किया है ! आगे भी करती रहिये !
शुभकामनाए

ताऊ रामपुरिया said...
This comment has been removed by the author.
Dr. Ravi Srivastava said...

Hello Rashmi ji,

As an opportunity, I saw your great Blog and I have no words to comments that you have written with just a good sense of literature and you used your words where they should be used.
Really i like it and desirous to get your all new creations. Please add my e-mail : ravibhuvns@gmail.com . and if you take it easy, i would also like to add your e-mail address so that i would get your valuable comments on my new creations.

Awaiting an early reply....

...Ravi
http://mere-khwabon-me.blogspot.com/
http://ravi-yadein.blogspot.com/

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I am sorry that i named you Rashmi by mistake.

Advocate Rashmi saurana said...

bhut badhiya kahani likhi hai. ati uttam. likhati rhe.

ADMIN said...

यकीन नहीं आता कि आप सचमुच पुलिसवाली हैं,

एक पत्रकार के नाते रोजाना पुलिसवालों से पाला पडता है पर ऐसा सेंसटिव दिल और रचनात्मक दिमाग किसी का नहीं देखा.
शायद आपके अन्दर की नारी पुलिस में होने के बाद भी जीवित है.
हम खुलासा टीवी नाम से ऑनलाइन न्यूज़ चैनल व खुलासा टाईम्स विजन नाम से वीकली न्यूज़ पेपर चलाते हैं यदि आप हमारे चैनल व पेपर के लिए कुछ लिखें तो हम आभारी होंगे.

Puneet Nigam
Editor:- www.Khulasatv.com
email:- editor@khulasatv.com

क्षितीश said...

अच्छी कहानी है... ऐसे कहानी न कहकर इसे व्यंग्य-रचना कहना ज्यादा बेहतर होगा.. चुभती हुई सी, बेदार करती हुई एक अच्छी रचना.. हरिशंकर जी से काफी कुछ प्रेरित, प्रभावित लगा...!!!

राकेश जैन said...

Mam, Kahan hai aaj kal..no updates on blog...