Thursday, May 1, 2008

आत्मा की तेरहवी



आज आत्मा से हमारा हमेशा के लिए पीछा छूट गया! बचपन से ही हमारा हमारी आत्मा के साथ संघर्ष चला आ रहा है! जाने कैसी आत्मा इशू की है भगवान् ने हमारी काया को,हम जो भी काम करें इसे पसंद ही नहीं आता, जब देखो अपनी टांग फंसाती रहती थी! सच कह रहे हैं एक आध दिन इस आत्मा की तो.... !पूरे बचपन की वाट लगा दी इस आत्मा की बच्ची ने !जब कभी जेबखर्च के लिए पिता जी की पैंट से पैसे चुराने की सोचते,इस आत्मा की चोंच चलने लगती! जैसे तैसे कठिन परिश्रम करके पिता जी की जेब हलकी करते,रात होते ही आत्मा के प्रवचन शुरू हो जाते!नन्ही उम्र थी हमारी सो ज्यादा बहस नहीं कर पाते! आत्मा की बातों में आ जाते और पैसे वापस जेब में रख आते! जब भी परीक्षा में नक़ल करने बैठते,कमीनी आत्मा झक सफ़ेद कपडों में सामने आकर खड़ी हो जाती, बगल वाले की कॉपी पर पर हाथ रख लेती! इन आत्मा मैडम ने कई दफा फेल करवाया!

१४-१५ साल की उम्र तक तो ऐसा हुआ कि हम आत्मा के मुकाबले थोडा कमज़ोर पड़ते रहे, लेकिन उसके बाद धीरे धीरे हमारे अन्दर ताकत का संचार हुआ!हमने अपने जैसे आत्मा पीडितों का एक ग्रुप बना लिया था,जिसकी नियमित बैठकें होतीं और आत्मा से निजात पाने के तरीकों पर मंथन किया जाता,कभी कभी गेस्ट फेकलटी को बुलाकर आत्मा की आवाज़ दबाने के तरीकों पर लेक्चर भी करवाया जाता!इसका नतीजा ये निकला कि अब ७०% मामलों में हमारी जीत होती और ३०% मामलों में आत्मा की!

खैर,हम धीरे धीरे बड़े होते गए! जुगाड़ लगाई तो क्लर्क बन गए और ईश्वर का कृपा से क्लर्की भी अच्छी चल निकली! पर ये धूर्त आत्मा को यह भी गवारा नहीं था !घूस ही तो खाते थे,इसके बाप का क्या लेते थे! जैसे ही रात होती तो हमें झिंझोड़ कर जगा देती और प्रवचन शुरू कर देती! हांलाकि अब तक हम मत्थर पड़ने लग गए थे पर रात तो खराब हो ही जाती!एक दिन ये समस्या का भी समाधान हुआ! रोज़ का तरह आत्मा के उपदेश शुरू हुए तभी हमने देखा, ये सफ़ेद पेंट शर्ट वाली आत्मा के सामने बिलकुल वैसी ही भक काले पेंट शर्ट वाली आत्मा हमारे अन्दर से अवतरित हुई और आते ही कुलटा,कमीनी ,मक्कार जैसी कई उच्च कोटी का गालियों से सफ़ेद आत्मा को नवाज़ दिया !अब हमें कुछ कहने का ज़रूरत नहीं थी,दोनों में आपस में मुंहवाद होता रहा !इसके बाद से तो वह वकील्नुमा आत्मा ही हमारी तरफ से बहस करती,हम आराम से सो जाते!सिलसिला चलता रहा,पर हाँ,अब हर बार सफ़ेद आत्मा ही हारती!

हाँ...तो हम आज के झगडे का बात कर रहे थे!वैसे भी रोज़ रोज़ का किटकिट से तंग आ गए थे हम! आज तो उसने हलकान ही करके रख दिया,पीछे ही पड़ गयी हमारे !इतना जोर से चिन्घादी की जीना दूभर हो गया! ऐसा भी क्या कर दिया था हमने छोटी सी बात थी! हुआ यूं की एक ठेले वाला हमसे अपने जवान बेटे का म्रत्यु प्रमाण पत्र लेने आया, हमने तो भैया आदत के मुताबिक ५०० रुपये मांगे! झूठा कहीं का, कहने लगा की पैसे नहीं हैं!उम्र हो गयी ठेला चलाते चलाते,इतना पैसा भी नहीं कमाया होगा क्या?और फिर जब हम किसी का काम बिना पैसे के नहीं करते तो इसका कैसे कर देते,आखिर सिद्धांत भी तो कोई चीज़ है! खैर ठेले वाला तो चला गया रोते कलपते पर ये आत्मा की बच्ची बिफर गयी ! बहुत जलील किया हमें ! सो हमने भी आज अन्तिम फैसला कर डाला ,अपनी काली आत्मा को बुलाकर सुपारी दे डाली!और उसने सफ़ेद आत्मा का गला हमेशा के लिए घोंट दिया!

हमें कोई ग़म नहीं उसकी मौत का !कोई गुनाह तो नहीं किया हमने,आखिर कानून में भी तो आत्मा के मर्डर के लिए कोई धारा नहीं बनी है!रोज़ ही तो लोग खुल्लम खुल्ला आत्मा का क़त्ल कर रहे हैं और हम भी इसी समाज का हिस्सा हैं!

बहरहाल,अगली ग्यारस को हमारी आत्मा की तेरहवी है! पंडित ने बताया है की १०१ आत्माओं की आहुति देने से मारी आत्मा कभी वापस नहीं आती! सो सभी आत्मा पीडितों से अनुरोध है की अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होकर अपनी अपनी आत्माओं की आहुति दें और म्रत्युभोज को सफल बनाएं!

10 comments:

Shubhomoy Sikdar said...

parsai ji sulna bemaani hogi par haan prayaas achha hai
jaari rakhiye.................sambhavnayen apaar hai.........jai blog devta

Shubhomoy Sikdar said...

parsai ji sulna bemaani hogi par haan prayaas achha hai
jaari rakhiye.................sambhavnayen apaar hai.........jai blog devta

Shubhomoy Sikdar said...

parsai ji sulna bemaani hogi par haan prayaas achha hai
jaari rakhiye.................sambhavnayen apaar hai.........jai blog devta

Shubhomoy Sikdar said...

parsai ji se tulna bemaani hogi par haan prayaas achha hai
jaari rakhiye.................sambhavnayen apaar hai.........jai blog devta

आशीष कुमार 'अंशु' said...

शुभकामनायें

Kharageous said...

awesome..
kataksha par kataksha maare hain apne samaj par...
keeeep writing

Abhijit said...

aatma ki tehravin....ye mrityubhoj to aajkal har taraf chal raha hai. Kafi fashionable event bhi hai...ise aap socialite page 3 event ka swaroop bhi de sakti hain.
Waise kuch koshish ki hoti to kuch de dilakar safed aatma bhi pat hi jati. Use shayad ye krodh tha ki sab khaye jaa rahe hain aur use kuch nahi mil raha tha.

Barhaal...badhiya lekh. Style kafi badhiya laga. Yon hi likhte rahiye

Ashu said...

bahut hi sahi vishay par aapne chot ki hai vyang ki..

sarahniya

Shiv said...

बहुत खूब!

अच्छा किया मार दिया. ये रोज-रोज की चिकचिक से छुटकारा मिले, इससे अच्छा कुछ नहीं.

ADMIN said...

आत्मा को मार कर ही बनता है पुलिसवाला,
अच्छा किया जो तुमने भी उसको मार डाला,
आशा है अब बनोगी तुम असली पुलिसवाली,
खूब भरना जेबें और बनना पैसेवाली.

(कृपया बुरा न माने,
अपन आदत से हैं मजबूर,
कलम के हैं मजदूर,
और व्यंग करना
हमारी रोजी रोटी है हुजूर )